Category: हिसार

“स्क्रीन का शिकंजा: ऑस्ट्रेलिया से सबक लेता भारत?”

ऑस्ट्रेलिया ने 16 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए यूट्यूब समेत सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर प्रतिबंध लगाने का साहसिक फैसला लिया है। यह कदम बच्चों को ऑनलाइन…

उधम सिंह सरदार: एक गोली, सौ सालों की गूंज ……. लंदन की अदालत में भारत की गरिमा का नाम

उधम सिंह केवल एक क्रांतिकारी नहीं थे, बल्कि एक विचार थे—संयम, संकल्प और सत्य का प्रतीक। जलियांवाला बाग़ के नरसंहार का प्रत्यक्षदर्शी यह वीर 21 वर्षों तक चुपचाप अपने मिशन…

साजिश नहीं, सच्चाई है ……. बीएसएनएल के बाद अब सरकारी स्कूलों की बारी

डॉ. प्रियंका सौरभ जब भी कोई सरकार राष्ट्रहित की बातें करती है, तो नागरिकों को यह समझना चाहिए कि इन कथित राष्ट्रहितों से वास्तव में लाभ किसका हो रहा है।…

डॉ. विजय कुमार होंगे 25वें ‘उन्नत भारत सेवाश्री पुरस्कार 2025’ में सम्मानित

शिक्षा,अनुसंधान और राष्ट्रीय योगदान के क्षेत्र में अद्वितीय कार्यों हेतु चयन ……. हिसार, प्रमोद कौशिक 28 जुलाई : हरियाणा के प्रतिष्ठित शिक्षाविद् और हिसार विश्वविद्यालय के कुलसचिव (रजिस्ट्रार) डॉ. विजय…

धार्मिक आस्था बनाम प्रशासनिक निर्णय: नगर निगम को संतुलित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए —

सुरेश गोयल ‘धूप वाला’ हिसार, 27 जुलाई। नगर निगम हिसार द्वारा पार्कों में बने धार्मिक प्रतिष्ठानों को हटाने के निर्णय ने शहर में एक नई बहस को जन्म दे दिया…

सिख युवक को कड़ा पहनकर सीईटी की परीक्षा में जाने से रोका

गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा के पूर्व प्रधान स. सरदार के विरोध के बाद युवक को परीक्षा के लिए जाने दिया गया हरियाणा में अल्पसंख्यकों के साथ किया जा रहा…

हरियाली तीज: परंपरा की जड़ें और आधुनिकता की डालियाँ

हरियाली तीज केवल श्रृंगार, झूला और व्रत का पर्व नहीं, बल्कि भारतीय स्त्री के आत्मबल, प्रेम और प्रकृति से जुड़ाव का प्रतीक है। आधुनिकता की दौड़ में यह त्योहार भले…

स्क्वाड्रन लीडर लोकेंद्र सिंह को वरिष्ठ नागरिकों की श्रद्धांजलि

हिसार, जुलाई 26 – राजस्थान में चूरू के पास वायु सेना युद्धाभ्यास के दौरान 9 जुलाई को विमान दुर्घटना में मारे गए स्क्वाड्रन लीडर लोकेंद्र सिंह को आज वरिष्ठ नागरिक…

गिरती छतें, गिरती ज़मीर: झालावाड़ हादसा और हमारी व्यवस्था की नींव में छुपी मौत

प्रियंका सौरभ राजस्थान के झालावाड़ में एक सरकारी स्कूल की छत गिरने से मासूम बच्चों की मौत हो गई। इसे कुछ लोग “हादसा” कहेंगे, लेकिन असल में यह एक व्यवस्थागत…

मुंबई में वर्ष 2006 में हुए लोकल ट्रेन धमाके : जब गुनहगार छूटते हैं और पीड़ित रह जाते हैं

2006 के मुंबई लोकल ट्रेन धमाकों में लगभग 189 लोगों की जान गई। लगभग 19 वर्षों तक चले मुकदमे के बाद जब उच्चतम न्यायालय ने सबूतों के अभाव में 12…