
विज़न 2047 का सशक्त आधार: नारी शक्ति से विकसित भारत
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस, महिलाओं के आर्थिक राजनीतिक व सामाजिक उपलब्धियों एवं कठिनाइयों की सापेक्षता के उपलक्ष में उत्सव है
– एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं

गोंदिया: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च 2025 को दुनियाभर में धूमधाम से मनाया गया। यह दिन महिलाओं की आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों के साथ-साथ उनकी कठिनाइयों को उजागर करने का एक मंच प्रदान करता है। इस वर्ष की थीम “कार्यवाही में तेज़ी लाएं” (Accelerate Action) रखी गई, जिसका उद्देश्य लैंगिक समानता को तेजी से प्राप्त करने और महिलाओं के उत्थान के लिए निर्णायक कदम उठाने पर ज़ोर देना है।
महिला दिवस 2025 की तैयारियाँ और उत्सव
विश्वभर में इस दिवस की तैयारी संयुक्त राष्ट्र से लेकर विभिन्न देशों की सरकारों, संगठनों और नागरिकों द्वारा की गई। भारत में भी प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग द्वारा 6 मार्च 2025 को एक वर्चुअल वेबिनार आयोजित किया गया, जिसमें “नारी शक्ति से विकसित भारत” विषय पर चर्चा की गई।
महिला दिवस का महत्व और इतिहास
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है, जो महिलाओं के अधिकारों, समानता और सशक्तिकरण को बढ़ावा देने का प्रतीक है। इस दिन को 8 मार्च को मनाने के पीछे ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य यह है कि 1917 में रूस की महिलाओं ने रोटी और शांति के लिए हड़ताल की थी, जिसके बाद इस दिन को महिला दिवस के रूप में मान्यता मिली।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य: महिलाओं के अधिकारों की चुनौतियाँ
आज भी कई देशों में महिलाएँ अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही हैं:
- अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान सरकार ने महिलाओं की शिक्षा और काम करने पर पाबंदियाँ लगा दी हैं।
- यूक्रेन-रूस युद्ध के चलते महिलाओं के खिलाफ हिंसा बढ़ी है और उनकी स्थिति खराब हुई है।
- अमेरिका में 2022 में गर्भपात के अधिकार को चुनौती दी गई, जिससे महिलाओं के अधिकारों पर असर पड़ा।
महिला सशक्तिकरण में सकारात्मक बदलाव

हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में कई देशों में महिलाओं के अधिकारों की दिशा में सुधार भी देखा गया है:
- यूरोपीय संसद ने 2022 में एक कानून पारित किया, जिससे 2026 तक सार्वजनिक कंपनियों के बोर्ड में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित होगी।
- स्पेन ने माहवारी अवकाश और गर्भपात सुविधाओं को बढ़ाने के लिए कानून पारित किए।
- भारत में महिलाओं को 33% आरक्षण देने का कानून लागू किया गया।
लैंगिक समानता के लिए ‘कार्यवाही में तेजी’ की आवश्यकता
विश्व आर्थिक मंच के अनुसार, वर्तमान प्रगति दर से पूर्ण लैंगिक समानता तक पहुँचने में 2158 तक का समय लग सकता है, यानी अभी पाँच पीढ़ियों का इंतजार करना पड़ेगा। ऐसे में यह आवश्यक है कि लैंगिक समानता को प्राप्त करने के लिए निर्णायक और त्वरित कदम उठाए जाएं।
महिला सशक्तिकरण के लिए महत्वपूर्ण कदम
- महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता दिलाने के लिए नीतियाँ बनाना।
- शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में महिलाओं को प्राथमिकता देना।
- रोजगार के अवसर बढ़ाने और कार्यस्थलों पर भेदभाव समाप्त करने की दिशा में ठोस कदम उठाना।
- महिला नेतृत्व को प्रोत्साहित करने के लिए अधिक अवसर प्रदान करना।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग और सामूहिक प्रयास
संयुक्त राष्ट्र 10-21 मार्च 2025 तक लैंगिक समानता पर वैश्विक चर्चा आयोजित करेगा, जिसे UN Web TV के माध्यम से देखा जा सकेगा। दुनियाभर के संगठनों और सरकारों को इस दिशा में मिलकर काम करना होगा ताकि महिलाओं के उत्थान में तेजी लाई जा सके।
निष्कर्ष
“कार्यवाही में तेज़ी लाएं” थीम के तहत अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 ने एक सशक्त संदेश दिया है कि लैंगिक समानता के लिए अब और इंतजार नहीं किया जा सकता। विज़न 2047 के तहत भारत को विकसित बनाने में नारी शक्ति का योगदान अहम होगा। समाज को महिलाओं को समर्थन देना होगा, ताकि वे हर क्षेत्र में आगे बढ़ सकें और अपने अधिकारों को प्राप्त कर सकें।
-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र