नारीवाद नेतृत्व को,एक प्रमुख सिद्धांत के रूप में स्थापित करना ज़रूरी- एक नई चेतना की आवश्यकता

शांति, सुरक्षा, सतत विकास और सभी के लिए मानवाधिकार हासिल करने संबंधी उच्च पदों पर महिलाओं की समान भागीदारी अनिवार्य होना समय की मांग

बहुपक्षीय एजेंडे को आकार देने वाले व प्रमुख निर्णय लेने और नेतृत्व के पदों पर महिलाओं के बढ़ते प्रतिनिधित्व का मैं समर्थक हूं

-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं

गोंदिया महाराष्ट्र – वैश्विक स्तरपर24 जून 2025 को कूटनीति में महिलाओं का तीसरा अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जा रहा है। यह अवसर न केवल एक प्रतीकात्मक दिन है, बल्कि यह वैश्विक चेतना को झकझोरने का भी क्षण है—क्योंकि आज भी कूटनीति, राजनीति और सैन्य पदानुक्रम में महिलाओं का प्रतिनिधित्व गंभीर रूप से कम है। ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि नारीवादी नेतृत्व को एक प्रमुख सिद्धांत के रूप में स्थापित किया जाए, जिससे वैश्विक स्तर पर शांति, सुरक्षा, सतत विकास और मानवाधिकार के लक्ष्यों को हासिल करने में समान भागीदारी सुनिश्चित की जा सके।

ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य और वर्तमान स्थिति

इतिहास गवाह है कि सदियों से कूटनीति के क्षेत्र में पुरुषों का वर्चस्व रहा है। हालांकि, महिलाओं ने भी इस क्षेत्र में निर्णायक भूमिकाएँ निभाई हैं, जिन्हें अक्सर इतिहास के पन्नों में कम आंका गया। आज भी यह विषमता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।
2024 की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में केवल 20% राजदूत महिलाएं हैं और शांति वार्ता में भाग लेने वाले प्रतिनिधिमंडलों में महिलाओं की भागीदारी महज़ 16% रही है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार इस गति से चलते हुए 130 वर्षों तक हमें लैंगिक समानता प्राप्त करने में लग सकते हैं।

संयुक्त राष्ट्र और वैश्विक पहल

20 जून 2022 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रस्ताव संख्या 76/269 पारित कर 24 जून को कूटनीति में महिलाओं का अंतर्राष्ट्रीय दिवस घोषित किया। इसका उद्देश्य वैश्विक कूटनीति में महिलाओं की भूमिका को पहचान दिलाना और नेतृत्व के अवसरों में समानता की ओर कदम बढ़ाना था।

2024 में न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में “बहुपक्षीय कूटनीति में महिला नेतृत्व” विषय पर कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें महासभा अध्यक्ष, महासचिव समेत कई गणमान्य नेताओं ने भाग लिया। इस मंच से स्पष्ट संदेश गया कि आज भी निर्णय लेने के अधिकांश स्तरों पर पुरुषों का दबदबा कायम है, जबकि महिलाओं की भूमिका सीमित है।

आंकड़े जो सोचने पर मजबूर करते हैं

  • आज केवल 26 देशों का नेतृत्व महिला कर रही हैं।
  • 113 देशों में अब तक कोई महिला राष्ट्राध्यक्ष नहीं रही।
  • केवल 13% अंतरराष्ट्रीय संगठनों का नेतृत्व महिलाएं कर रही हैं।
  • 2024 तक संयुक्त राष्ट्र स्थायी मिशनों में महिलाओं की हिस्सेदारी:
    • न्यूयॉर्क: 25%
    • जिनेवा: 35%
    • वियना: 33.5%

नेतृत्व में महिलाओं की शक्ति

संयुक्त राष्ट्र महिला प्रमुख सिमा बहौस के शब्दों में, “जब महिलाएं नेतृत्व करती हैं, तो दुनिया सभी लोगों और पृथ्वी के लिए बेहतर बनती है।” आज की वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए यह ज़रूरी है कि सत्ता के शिखर पर महिलाओं को प्राथमिकता दी जाए। 2023 में अमेरिका द्वारा जारी की गई रणनीति भी नागरिक और राजनीतिक जीवन में युवतियों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने का महत्वपूर्ण प्रयास है।

अतीत की महान महिलाएं: प्रेरणा की नींव

हमें उन महिलाओं को नहीं भूलना चाहिए जिन्होंने वैश्विक कूटनीति की नींव रखी:

  • एलेनोर रूजवेल्ट
  • भारत की हंसा मेहता और लक्ष्मी मेनन
  • डोमिनिकन गणराज्य की मिनर्वा बर्नार्डिनो
  • पाकिस्तान की बेगम शाइस्ता इकरामुल्लाह
  • फ्रांस की मरीन-हेलेन लेफौचेक्स आदि।

इन महान महिलाओं ने इस बात की नींव रखी कि “सभी मनुष्य स्वतंत्र और सम्मान तथा अधिकारों में समान हैं।”

उद्देश्य और संदेश

इस दिवस का उद्देश्य केवल महिलाओं को सम्मान देना नहीं, बल्कि उन्हें भविष्य के नेतृत्व के लिए प्रेरित करना है। यह दिवस एक आंदोलन है—नारीशक्ति को उनके संवैधानिक अधिकारनेतृत्व की भागीदारी और कूटनीति में बराबरी दिलाने का।

निष्कर्ष: निर्णायक परिवर्तन की आवश्यकता

यदि हम उपर्युक्त तथ्यों और साक्ष्यों का विश्लेषण करें, तो यह स्पष्ट है कि कूटनीति में महिलाओं का तीसरा अंतर्राष्ट्रीय दिवस केवल उत्सव नहीं, बल्कि आह्वान है—एक समतामूलक, न्यायसंगत और टिकाऊ वैश्विक व्यवस्था के निर्माण हेतु।
अब समय आ गया है कि महिलाओं की समान भागीदारी को केवल आकांक्षा नहीं बल्कि नीति और प्राथमिकता बनाया जाए।

“मैं बहुपक्षीय एजेंडों को आकार देने वाले, प्रमुख निर्णयों में भागीदार बनने वाले, और नेतृत्व की ऊँचाइयों को छूने वाले हर मंच पर महिलाओं की बढ़ती भागीदारी का पूर्ण समर्थक हूं।”

-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यम सीए (एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र

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