सभी मंत्रालयों, विभागों, स्वायतः संस्थानों को निर्देश जारी-समोसा कचोरी फ्रेंच फ्राइज इत्यादि में कितना तेल व शुगर है, बोर्ड लगाकर दर्शाएं
भारत में जीवनशैली से जुड़ी तेजी से बढ़ती बीमारियों व मोटापे से निपटने के लिए केंद्र सरकार की नई पहल- दिशानिर्देश जारी
-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं

नई पहल: केंद्र सरकार की सेहतमंद जीवनशैली की दिशा में पहल
गदिया महाराष्ट्र-भारत में तेजी से बढ़ रही जीवनशैली जनित बीमारियों और मोटापे की समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने एक अहम कदम उठाया है। अब समोसा, जलेबी, कचौरी, फ्रेंच फ्राइज जैसे लोकप्रिय खाद्य पदार्थों को प्रतिबंधित करने की बात नहीं हो रही, बल्कि इन खाद्य पदार्थों में छिपी अतिरिक्त चीनी और तेल के हानिकारक प्रभावों से जागरूक कराना ही सरकार का मुख्य उद्देश्य है।
समोसे में क्या है? अब बोर्ड पर पढ़िए!
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी मंत्रालयों, विभागों और स्वायत्त संस्थाओं को निर्देश जारी किए हैं कि वे कैफेटेरिया, लॉबी, स्कूलों और कैंटीन में ऐसे बोर्ड लगाएं, जिनमें इन खाद्य पदार्थों में वसा, शर्करा और ट्रांस फैट की मात्रा स्पष्ट रूप से दिखाई जाए।
यह पहल बाध्यता नहीं बल्कि एक सुझाव है, ताकि लोग सोच-समझकर स्वस्थ विकल्प चुन सकें।
पीएम की अपील से हुई पहल की शुरुआत
यह विचार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील से जुड़ा है, जिन्होंने 28 जनवरी 2025 को देहरादून में 38वें राष्ट्रीय खेलों के उद्घाटन अवसर पर फिट इंडिया मूवमेंट को संबोधित करते हुए तेल की खपत में 10% की कमी करने और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की अपील की थी।
इसके साथ ही ‘मन की बात’ कार्यक्रम में भी उन्होंने ‘स्वस्थ भारत’ बनाने का आह्वान किया था।
मोटापे पर alarming रिपोर्ट: ग्लोबल बर्डन ऑफ डिज़ीज रिपोर्ट 2025
रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में भारत में 18 करोड़ वयस्क मोटापे का शिकार थे, जो 2050 तक 44.9 करोड़ तक पहुंच सकते हैं। यह आंकड़े सरकार के लिए चेतावनी बन गए हैं, इसलिए समय रहते लोगों को सचेत करना आवश्यक हो गया है।
तेल-शुगर बोर्ड लगाने के निर्देश: एक नजर में
- कहाँ लगेंगे बोर्ड?
स्कूलों, कार्यालयों, सार्वजनिक संस्थानों, कैंटीन और मीटिंग रूम में - क्या जानकारी होगी?
खाद्य उत्पादों में छिपी चीनी, तेल और ट्रांस फैट की स्पष्ट मात्रा - डिजिटल डिस्प्ले की भी योजना कुछ संस्थानों में
- स्वस्थ विकल्पों को बढ़ावा देना, सीढ़ियों के उपयोग और पैदल चलने की व्यवस्था
- स्टेशनरी व प्रकाशनों पर स्वास्थ्य संदेश अनिवार्य
पायलट प्रोजेक्ट: नागपुर से शुरुआत
अभियान की शुरुआत नागपुर के एम्स (AIIMS) से हो रही है, जहाँ लोकप्रिय फूड स्टॉल्स पर कैलोरी काउंट पोस्टर लगाए जाएंगे।
इनमें चीनी, वसा, ट्रांस फैट की मात्रा और उनसे जुड़ी बीमारियों की चेतावनियाँ दी जाएंगी।
सीबीएसई का बड़ा कदम: स्कूलों में ऑयल बोर्ड अनिवार्य
14 मई 2025 को सीबीएसई ने ‘शुगर बोर्ड’ का निर्देश दिया था। अब इसे आगे बढ़ाते हुए ‘ऑयल बोर्ड’ लगाने का भी निर्देश जारी कर दिया गया है।
सभी स्कूल प्रमुखों से कहा गया है कि वे छात्रों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने हेतु प्रेरित करें।
डब्ल्यूएचओ की चेतावनी: प्रसंस्कृत भोजन बना खतरा
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि भारत में मधुमेह, मोटापा और अन्य गैर-संचारी रोगों का मुख्य कारण अधिक मात्रा में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का सेवन है।
इन खाद्य उत्पादों में अस्वास्थ्यकर वसा, शर्करा, सोडियम अधिक होता है जो गंभीर बीमारियों को जन्म देता है।
निष्कर्ष: असल मुद्दा – जागरूकता, न कि प्रतिबंध
यह स्पष्ट है कि सरकार किसी खाद्य पदार्थ पर प्रतिबंध नहीं लगा रही, बल्कि लोगों को सूचना देकर जागरूक बना रही है।
समोसा, जलेबी, कचौरी जैसे खाद्य पदार्थ हमारी संस्कृति का हिस्सा हैं, लेकिन इनके संतुलित सेवन की ओर प्रेरित करना ही इस पहल का मुख्य सार है।
संकलनकर्ता लेखक –क़ानूनी विशेषज्ञ | स्तंभकार | साहित्यकार | अंतरराष्ट्रीय लेखक | चिंतक | कवि | सीए (ATC) | एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया (महाराष्ट्र)