पीएम नरेंद्र मोदी बनाम नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी – ट्रंप के नाम की भी गूंज
ऑपरेशन सिंदूर पर बहस संसद से लाइव- भारत सहित पूरी दुनियाँ ने देखी-ट्रंप का 29 बार का बयान व पाक़ डीजीएमओ के सीजफायर निवेदन पर युद्ध विराम तर्क पर क़्या देश संतुष्ट हुआ?
ऑपरेशन सिंदूर पर 32 घंटे की बहस में, पूरी दुनियाँ में घूमें सभी पार्टियों के 7 डेलिगेशन व ट्रंप द्वारा सीजफायर करवाने के 29 बार बयान पर जवाब/खंडन नहीं आया जो रेखांकित करने वाली बात है
-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं

गोंदिया महाराष्ट्र – वैश्विक स्तरपर भारत के सबसे बड़े लोकतांत्रिक मंच संसद का 2025 का मानसून सत्र 21 जुलाई से 21 अगस्त तक चला, जिसे वैश्विक मीडिया ने लाइव कवर किया। इस सत्र का सबसे प्रमुख बिंदु रहा-ऑपरेशन सिंदूर, जिसके तहत भारत ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में सैन्य कार्रवाई की थी। इस कार्रवाई पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 29 बार के ‘सीजफायर’ दावे, पाकिस्तानी डीजीएमओ के युद्धविराम निवेदन, और भारत के राजनीतिक विपक्ष द्वारा खड़े किए गए सवालों ने संसद को हिला दिया।
32 घंटे की ऐतिहासिक बहस: संसद से सीधा प्रसारण, दुनियाभर की नज़रें
28-29 जुलाई को संसद में 16-16 घंटे की मैराथन बहस चली, जिसमें विपक्ष और सरकार दोनों ने तीखे सवाल-जवाब किए। पूरी दुनिया इस बहस को लाइव देख रही थी। संसद की कार्यवाही में तीन बातें सबसे अधिक रेखांकित हुईं:
- डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 29 बार सीजफायर करवाने का दावा, जिस पर कोई प्रत्यक्ष खंडन नहीं आया।
- पाक डीजीएमओ के युद्धविराम अनुरोध को भारत द्वारा सहजता से स्वीकार करना, यह प्रश्न बना रहा।
- सात दलों के डेलिगेशन का विदेश यात्रा करना – उद्देश्य और संदेश स्पष्ट नहीं हुए।
विपक्ष का आक्रामक रुख: राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और गौरव गोगोई की धारदार बातें
राहुल गांधी का तर्क:
- “पहलगाम हमला पूरी तरह पाक प्रायोजित था। ट्रंप ने 29 बार कहा कि उन्होंने सीजफायर करवाया। अगर यह गलत है, तो पीएम सदन में कहें कि ट्रंप झूठ बोल रहे हैं।”
- “सरकार ने ट्रंप के कहने पर सरेंडर किया। विपक्ष सरकार के साथ था, लेकिन प्रधानमंत्री का रुख अस्पष्ट रहा।”
प्रियंका गांधी वाड्रा:
- “2008 में आतंकी हमले के बाद गृहमंत्री और मुख्यमंत्री ने इस्तीफा दिया था। इस बार किसी ने जिम्मेदारी नहीं ली। क्या इस सरकार में जवाबदेही नाम की कोई चीज नहीं बची है?”
गौरव गोगोई:
- “रक्षा मंत्री ने विवरण तो दिया लेकिन ये नहीं बताया कि पाकिस्तानी आतंकी कैसे पहलगाम तक पहुंचे। 10 मई को अचानक युद्धविराम क्यों हुआ? क्या पीएम ने आत्मसमर्पण कर दिया?”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जवाब: सीधा, स्पष्ट और आक्रामक
ट्रंप के बयान पर:
“दुनिया के किसी नेता ने ऑपरेशन सिंदूर रोकने को नहीं कहा। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने 9 मई की रात बात करने की कोशिश की, पर मैं सेना के साथ बैठक में था। बाद में बात हुई तो उन्होंने बताया कि पाक हमला करने वाला है। मैंने जवाब दिया – ‘हम गोली का जवाब तोप से देंगे।’”
ऑपरेशन की रणनीति:
“10 मई को हमने पाक की सैन्य ताकत को नष्ट कर दिया। ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी है। हम रुके नहीं हैं। दुनिया का कोई भी देश हमें रोक नहीं सकता।”
विपक्ष पर तंज:
“दुनिया ने हमें समर्थन दिया, कांग्रेस ने नहीं। वे हमले के चार दिन बाद ही कहने लगे – 56 इंच की छाती कहां है?”
सात डेलिगेशन का विदेश दौरा: उद्देश्य क्या था?
32 घंटे की बहस में यह सवाल बार-बार उठा कि जब संसद में इतनी लंबी बहस चल रही थी, तब विभिन्न राजनीतिक दलों के 7 डेलिगेशन विदेशों में क्या संदेश देने गए थे?
- क्या ये कूटनीतिक समर्थन जुटाने की कवायद थी?
- या फिर वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति स्पष्ट करने का प्रयास?
- इस पर सरकार और विपक्ष दोनों ने स्पष्ट स्थिति नहीं रखी।
ट्रंप का दावा: सीजफायर मैंने करवाया – 29 बार का बयान, पर सरकार चुप?
डोनाल्ड ट्रंप द्वारा बार-बार यह कहना कि उन्होंने भारत-पाक के बीच युद्धविराम करवाया, एक राजनयिक उलझन है।
- अगर यह सच है, तो भारत की रणनीतिक स्वायत्तता पर सवाल।
- अगर यह झूठ है, तो स्पष्ट खंडन क्यों नहीं आया?
इस मौन पर जनता में असंतोष व्याप्त है।
तीन मूल प्रश्न जो अब भी अनुत्तरित हैं:
- ट्रंप का दावा सही है या झूठ?
- भारत ने पाक डीजीएमओ का युद्धविराम अनुरोध क्यों माना?
- सात डेलिगेशन ने दुनियाभर में जाकर क्या संदेश दिया?
निष्कर्ष: एक बहस जिसने संसद को झकझोर दिया
32 घंटे की बहस, दोनों सदनों में तीखे सवाल, वैश्विक नेताओं के दावे, सेना की कार्रवाई और जनता की अपेक्षाएं — ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि एक राजनीतिक, कूटनीतिक और नैतिक कसौटी बन चुका है।
पीएम नरेंद्र मोदी ने युद्धविराम पर स्पष्टता दी, पर ट्रंप के 29 बयानों पर कोई ठोस प्रतिक्रिया न आना, विपक्ष द्वारा उठाए गए इस्तीफे और जिम्मेदारी के सवाल, और सात डेलिगेशन की रहस्यमयी यात्राएं – ये सभी बिंदु जनता के मन में कई संदेह छोड़ गए हैं।
संकलनकर्ता लेखक:विशेषज्ञ स्तंभकार | अंतरराष्ट्रीय लेखक | चिंतक | कवि | संगीत माध्यम सीए (एटीसी)एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं, गोंदिया (महाराष्ट्र)