
नई दिल्ली, 17 अगस्त 2025। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने महाराष्ट्र के राज्यपाल और वरिष्ठ भाजपा नेता सी.पी. राधाकृष्णन को आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने यह घोषणा करते हुए कहा कि राधाकृष्णन का लंबा राजनीतिक अनुभव और संगठनात्मक योगदान उन्हें इस पद के लिए सर्वसम्मत विकल्प बनाता है।
चुनाव 9 सितंबर को
निर्वाचन आयोग के अनुसार, उपराष्ट्रपति चुनाव का मतदान 9 सितंबर 2025 को होगा। संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के लगभग 788 सांसद इस चुनाव में मतदान करेंगे।
सी.पी. राधाकृष्णन की पृष्ठभूमि
तमिलनाडु के कोयंबटूर से आने वाले राधाकृष्णन भाजपा के पुराने और जमीनी नेता माने जाते हैं। वे दो बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं और उनकी पहचान एक संगठनकर्ता के रूप में रही है। आरएसएस से जुड़े राधाकृष्णन ने दक्षिण भारत में भाजपा को खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई। वर्तमान में वे महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं।
विपक्ष की रणनीति
एनडीए की ओर से उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद अब विपक्षी गठबंधन INDIA ब्लॉक पर निगाहें हैं। गठबंधन सूत्रों के मुताबिक, विपक्ष एक साझा उम्मीदवार उतारने की कोशिश करेगा ताकि भाजपा को चुनौती दी जा सके। हालांकि, अब तक नामों पर अंतिम सहमति नहीं बनी है। कांग्रेस सहित अन्य सहयोगी दलों के वरिष्ठ नेताओं के नामों पर चर्चा चल रही है।
संख्या का समीकरण
- संसद के कुल 788 सांसदों में एनडीए का पलड़ा भारी है।
- लोकसभा में भाजपा और उसके सहयोगियों को स्पष्ट बहुमत प्राप्त है।
- राज्यसभा में भी एनडीए सबसे बड़ा गठबंधन है।
- ऐसे में गणितीय रूप से एनडीए उम्मीदवार की जीत लगभग तय मानी जा रही है, लेकिन विपक्ष यदि एकजुट होकर उम्मीदवार उतारता है तो यह चुनाव राजनीतिक दृष्टि से दिलचस्प हो सकता है।
विश्लेषण: दक्षिण भारत को साधने की कोशिश
भाजपा द्वारा सी.पी. राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाने के पीछे साफ राजनीतिक संदेश देखा जा रहा है।
- हाल के वर्षों में भाजपा ने दक्षिण भारत (विशेषकर तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश) में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिशें तेज की हैं।
- उपराष्ट्रपति पद के लिए तमिलनाडु से नेता चुनकर भाजपा ने यह संकेत दिया है कि वह दक्षिण भारत को राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में लाना चाहती है।
- इससे भाजपा को संगठनात्मक मजबूती के साथ-साथ आगामी चुनावों में राजनीतिक लाभ मिलने की संभावना भी जताई जा रही है।
निष्कर्ष
एनडीए द्वारा सी.पी. राधाकृष्णन का नाम सामने आने के बाद उपराष्ट्रपति चुनाव की सरगर्मी तेज हो गई है। संख्या के हिसाब से एनडीए का पलड़ा भारी है, लेकिन असली राजनीतिक दिलचस्पी विपक्ष की रणनीति और उम्मीदवार पर टिकी है। यह चुनाव केवल संवैधानिक पद की लड़ाई ही नहीं बल्कि दक्षिण भारत में भाजपा की भविष्य की योजनाओं का संकेत भी माना जा रहा है।