अंतरराष्ट्रीय राजनीति व वैश्विक व्यापार की दुनियाँ में आर्थिक हथियारों का इस्तेमाल तेज़ी से बढ़ रहा है
लाल किले की प्राचीऱ से पीएम का जीएसटी रिफॉर्म क़े आगाज़ पर अमल शुरू-टैरिफ भारत के लिए बाधा नहीं बल्कि अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर,उपभोक्ता केंद्रित बनाने का अवसर
– एडवोकेट किशन सनमुखदास

गोंदिया – वैश्विक स्तरपरआज की दुनिया में राजनीति केवल सैन्य शक्ति पर नहीं, बल्कि आर्थिक नीतियों और व्यापारिक हथियारों पर भी टिकी हुई है। अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने कार्यकाल के शुरुआती आठ महीनों में यह स्पष्ट कर दिया है कि उनका एजेंडा “अमेरिका फर्स्ट” है। इस नीति के तहत राष्ट्रपति ट्रंप सहित कई देशों पर ऊँचे टैरिफ लगाए गए हैं। 27 अगस्त से भारत पर टैरिफ को दोगुना कर 50% तक कर देने का ऐलान इसी नीति का हिस्सा है। इससे भारत के ज्वेलरी, टेक्सटाइल, फुटवियर, फार्मा, कृषि और स्टील जैसे उद्योगों पर सीधा असर पड़ने की संभावना है।
भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया – जीएसटी सुधारों का बूस्टर डोज़
इन चुनौतियों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2025 को लाल किले से जीएसटी सुधारों की घोषणा कर भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी। सरकार ने अमेरिकी टैरिफ को केवल बाधा न मानकर उसे आत्मनिर्भरता और उपभोक्ता-केंद्रित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने का अवसर माना है।
18 अगस्त 2025 को पीएम की अध्यक्षता में हुई आर्थिक सलाहकार समिति की बैठक में टैरिफ के असर और जीएसटी सुधारों पर गहन चर्चा की गई। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जीएसटी की दरों को सरल बनाकर अब 5% और 18% पर सीमित करने पर जोर दिया गया है। साथ ही छोटे उद्योगों, ई-कॉमर्स और निर्यात क्षेत्र को राहत देने वाले प्रावधानों की रूपरेखा तैयार की गई है।
अमेरिकी टैरिफ का असर
अमेरिकी टैरिफ भारत की अर्थव्यवस्था पर कई स्तरों पर असर डाल सकता है:
- निर्यात पर चोट – $40 अरब के निर्यात को सीधा खतरा।
- लागत में बढ़ोतरी – स्टील, फार्मा और टेक्सटाइल जैसे सेक्टर की प्रतिस्पर्धा अमेरिकी बाजार में घटेगी।
- ट्रेड बैलेंस पर दबाव – निर्यात घटने से डॉलर के मुकाबले रुपये पर दबाव।
- आईटी और फार्मा – अमेरिका पर निर्भरता के कारण इन क्षेत्रों में चुनौतियाँ।
जीएसटी सुधारों की मुख्य विशेषताएँ
- टैक्स स्लैब का सरलीकरण – पहले 0%, 5%, 12%, 18%, 28% की व्यवस्था थी। अब 5% और 18% तक सीमित करने का प्रस्ताव।
- एमएसएमई और ई-कॉमर्स को राहत – सालाना ₹2 करोड़ तक टर्नओवर पर छूट और एकीकृत फाइलिंग सिस्टम।
- इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) आसान – ऑटोमेटिक रिफंड और 15 दिन में टैक्स रिफंड।
- निर्यातकों को प्रोत्साहन – SEZ और Make in India यूनिट्स को अतिरिक्त टैक्स राहत।
- उपभोक्ताओं को लाभ – रोज़मर्रा की वस्तुओं पर टैक्स घटा, महंगाई पर नियंत्रण और खपत में बढ़ोतरी।
उपभोक्ताओं के फायदे
- इलेक्ट्रॉनिक्स, वस्त्र और खाद्य पदार्थों पर टैक्स दरें घटने से दाम कम होंगे।
- महंगाई पर नियंत्रण रहेगा।
- टैक्स चोरी और कैस्केडिंग इफेक्ट कम होगा।
- पेट्रोलियम उत्पादों को आंशिक रूप से जीएसटी में लाने से पारदर्शिता बढ़ेगी।
उद्योगों के फायदे
- टैक्स सिस्टम सरल होने से प्रशासनिक बोझ घटेगा।
- ITC रिफंड में तेजी से कैश फ्लो सुधरेगा।
- घरेलू बाजार मजबूत होगा, निर्यात घटने की स्थिति में सुरक्षा कवच मिलेगा।
- वैश्विक निवेशक भारत में निवेश को लेकर आकर्षित होंगे।
अमेरिकी टैरिफ और जीएसटी सुधार – सीधा संबंध
अमेरिका चाहता है कि भारत के निर्यात को चोट पहुंचे, लेकिन भारत ने घरेलू खपत और उत्पादन पर ध्यान देकर इसका जवाब दिया। उदाहरण के लिए, अगर अमेरिकी बाजार में भारतीय टेक्सटाइल महंगे हो जाएँ तो घरेलू बाजार में कम टैक्स रेट से बिक्री बढ़ेगी। इसी तरह फार्मा सेक्टर को टैक्स रिफंड और ITC से राहत मिलेगी।
अतःअगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि स्पष्ट है कि अमेरिकी टैरिफ भारत की अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती जरूर है, लेकिन भारत ने इसे अवसर में बदलने की दिशा में कदम बढ़ाया है। जीएसटी सुधारों का बूस्टर डोज़ न केवल उपभोक्ताओं को राहत देगा बल्कि उद्योगों को मजबूती और राष्ट्र को नई आर्थिक दिशा प्रदान करेगा।लाल किले से पीएम का यह संदेश केवल एक कर सुधार नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर और उपभोक्ता-केंद्रित भारत की ओर निर्णायक कदम है।
संकलनकर्ता लेखक -कर विशेषज्ञ, स्तंभकार, साहित्यकार, अंतरराष्ट्रीय लेखक, चिंतक, कवि, संगीत माध्यमा, सीए (एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया महाराष्ट्र