Tag: किसान आंदोलन

किताबी ज्ञान बनाम व्यवहारिक ज्ञान: शिक्षा का असली अर्थ क्या है?

किताबी ज्ञान बनाम व्यवहारिक ज्ञान तुम तो पढ़े लिखे हो! हम तो ठहरे अनपढ़! व्यंग्य – व्यवहारिक शिक्षा और ज्ञान में परिपक्व व्यक्तियों द्वारा किताबी शिक्षा प्राप्त व्यक्तियों पर तानों…

दुल्हन फर्जी, रिश्ता असली बेवकूफी का! ……. फर्जी रिश्तों का व्यापार: शादी नहीं, ठगी का धंधा

भारत में शादियों को लेकर एक सांस्कृतिक उत्सव, पारिवारिक प्रतिष्ठा और भावनात्मक जुड़ाव की भावना जुड़ी होती है। लेकिन जब इस पवित्र रिश्ते को ठगों का व्यवसाय बना दिया जाए,…

विश्व तंबाकू निषेध दिवस 31 मई 2025 – जागरूकता के साथ कानूनी सख़्ती की आवश्यकता

तंबाकू उद्योग की दखल से,भविष्य के नेतृत्व बच्चों की रक्षा करना समय की मांग तंबाकू निषेध जनजागरण के दिन अब लद गए,अब तंबाकू विक्रेता व सेवनकर्ता दोनों पर राष्ट्रीय सुरक्षा…

कलम का रणघोष : पत्रकारिता का वर्तमान, संघर्ष और ज़िम्मेदारी ……

“झुकी नहीं जो कलम: लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की पुकार” “शब्दों का शस्त्र: जब सच लिखना विद्रोह बन जाए” “कलम, क्रांति और चेतना: पत्रकारिता का असली धर्म” “न बिके, न…

“कम उम्र का गुस्सा, समाज का आईना: जब बच्चे चाकू उठाने लगे”

स्कूली छात्रों द्वारा चाकू से हमले की घटनाएं बता रही हैं कि बच्चों की मासूमियत में अब गुस्सा, हिंसा और असहायता छिपी है। सोशल मीडिया, संवादहीन पालन-पोषण, और ग्लैमराइज हिंसा…

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने धान व अन्य फसलों की एमएसपी में बढ़ोतरी को बताया नाकाफी

कहा- कांग्रेस कार्यकाल में इससे 5 गुना होती थी हर साल बढ़ोतरी- हुड्डा चंडीगढ़, 28 मई। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने धान व अन्य फसलों की एमएसपी में बढ़ोतरी…

“राजीव गांधी केवल नाम नहीं, बल्कि भारत के भविष्य की वह लौ हैं, जिसने अंधेरों में भी रोशनी की उम्मीद जगाई” – पर्ल चौधरी

आधुनिक भारत की नींव : राजीव गांधी का विज़न गुरुग्राम – राजीव गांधी जी की पुण्यतिथि पर बोलते हुए कांग्रेस नेत्री पर्ल चौधरी ने कहा आज जब हम राजीव गांधी…

प्रधानमंत्री का राष्ट्र के नाम संबोधन का मूल पाठ …..

प्रिय देशवासियों, नमस्कार! हम सभी ने बीते दिनों में देश का सामर्थ्य और उसका संयम दोनों देखा है। मैं सबसे पहले भारत की पराक्रमी सेनाओं को, सशस्त्र बलों को, हमारी…

“केसीसी के नाम पर चालबाज़ी: निजी बैंकों की शिकारी पूँजी और किसानों की लूट”

निजी बैंक किसानों को केसीसी योजना के तहत ऋण देते समय बीमा और पॉलिसियों के नाम पर चुपचाप उनके खातों से पैसे काट लेते हैं। हाल ही में राजस्थान में…

परशुराम जयंती या प्रतिष्ठा का तमाशा ?……..धर्म और संस्कृति के नाम पर दिखावे और स्वार्थ की मंडी

ऋषि प्रकाश कौशिक भगवान परशुराम भारत की उस परंपरा के प्रतिनिधि हैं, जहाँ धर्म, न्याय और आत्मबल सर्वोपरि माने जाते हैं। वे ब्रह्मतेज और क्षात्रबल के अद्वितीय प्रतीक हैं। लेकिन…