Tag: लोकतंत्र

भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 75 : नागरिक अधिकारों का सुरक्षा कवच और लोक सेवकों के लिए जिम्मेदारी की रीढ़ 

भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 75 : नागरिक अधिकारों का सुरक्षा कवच और लोक सेवकों के लिए जिम्मेदारी की रीढ़ अभिमनोज लोकतंत्र केवल एक शासन व्यवस्था नहीं, बल्कि एक निरंतर…

राजा का धर्म, नेतृत्व और राजनीति की आज की पीड़ा

“Il राजानां अनुवर्तन्ते यथा राजा तथा प्रजा” — चाणक्य(जैसा राजा होगा, वैसी ही उसकी प्रजा बन जाएगी) ✍️ आचार्य डॉ. महेन्द्र शर्मा ‘महेश’ गोस्वामी तुलसीदास ने श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड में…

बिहार में चौकाने वाले आंकड़े आए: 3.5 लाख मतदाताओं के नाम हटाने की प्रक्रिया शुरू

पूरे भारत में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण होगा बिहार में 2003 की मतदाता सूची को प्रमाणिक धार माना गया–संभावित 2.93 करोड़ वर्तमान मतदाताओं पर असर पड़ने की संभावना…

जब न्यूयॉर्क ने मामदानी को चुना, गुजरात आज भी चुप है : इमरजेंसी की 50वीं बरसी पर अमेरिका से लोकतंत्र का आईना भारत को दिखा ………

संविधान की रक्षा सिर्फ भाषणों से नहीं होती, बल्कि संस्थाओं की स्वतंत्रता, विपक्ष की आवाज़ और अल्पसंख्यकों के अधिकार से होती है : पर्ल चौधरी क्या मोदी सरकार भी वैसी…

संविधान के हत्यारे कौन? – जब अवसरवाद शर्म को भी खा जाता है !

राजनीति में परिवर्तन स्वाभाविक है, लेकिन चरित्रहीनता नहीं। आज जो नेता इंदिरा गांधी को कोसते हुए ‘संविधान बचाओ’ का नारा लगा रहे हैं, कल को वही सत्ता में बने रहने…

तिरंगा यात्रा का औचित्य: केवल आयोजन या देशभक्ति का वास्तविक संकल्प?

ऋषि प्रकाश कौशिक तिरंगा: केवल ध्वज नहीं, राष्ट्रीय आत्मा का प्रतीक तिरंगा हमारे देश की आत्मा है, जो देशभक्ति, बलिदान, और एकता का संदेश देता है। यह सिर्फ तीन रंगों…

“प्रेस स्वतंत्रता दिवस: “जब पत्रकारिता ज़िंदा थी…”

प्रेस की चुप्पी, रीलों का शोर: लोकतंत्र का चौथा स्तंभ ट्रेंडिंग टैग बन गया। प्रेस स्वतंत्रता दिवस अब औपचारिकता बनकर रह गया है। पत्रकारिता की जगह अब सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स…

“लोकतांत्रिक भारत: हमारा कर्तव्य, हमारी जिम्मेवारी” जनतंत्र की जान: सजग नागरिक और सतत भागीदारी

(अंबेडकर जयंती विशेष) लोकतंत्र केवल अधिकारों का मंच नहीं, बल्कि नागरिकों के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का साझेधार भी है। भारत जैसे विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में नागरिकों की भूमिका…

आरटीआई संशोधन पर 30 से अधिक संगठनों ने जताई गहरी चिंता, सरकार से संशोधन वापस लेने की मांग

नई दिल्ली, सतीश भारद्वाज: सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) 2005 में प्रस्तावित संशोधनों के खिलाफ 30 से अधिक नागरिक समाज संगठनों ने एकजुट होकर विरोध दर्ज कराया है। शुक्रवार को…

क्यों लोग वोट देने नहीं निकल रहे?

क्या नागरिक कथित राजनीतिक तानाशाही से उत्पीड़ित महसूस कर रहे हैं और ब्रिटिश राज की याद कर रहे हैं? क्या लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण चुनावी प्रक्रिया में रुचि कम हो…