रिश्तों का एटीएम: जब प्यार केवल ट्रांज़ैक्शन बन जाए
रिश्ते अब महज़ ज़रूरतों के एटीएम बनते जा रहे हैं। डिजिटल दुनिया ने संवाद को ‘रीचार्ज पैकेज’ और मुलाक़ातों को ‘होम-डिलीवरी’ में बदल दिया है। दिलचस्पी कम होते ही लगाव…
“सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार के खिलाफ कैसे दर्ज करें शिकायत: जानिए अपने अधिकार, कार्रवाई की प्रक्रिया”
शासकीय प्रताड़ना से पीड़ित अनेको ग्रामीण,अशिक्षित भोलीभाली जनता की शिकायतें बिना निर्धारित प्रारूप के खारिज़ हो जाती है-अधिकारी कर्मचारी सहयोग नहीं करते भ्रष्टाचार,सत्ता का दुरुपयोग,कर्तव्यों की अवहेलना से आम नागरिकों…
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मिले हरियाणा विस स्पीकर कल्याण
जुलाई में गुरुग्राम में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय सम्मेलन को लेकर हुई चर्चा वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक नई दिल्ली, 11 जून : हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष हरविन्द्र कल्याण ने नई दिल्ली…
रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ : स्वतंत्रता संग्राम के अमर शहीद को जन्मदिन पर नमन ( 11 जून विशेष )
सुरेश गोयल धूप वाला भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास वीरों की शौर्यगाथाओं से भरा पड़ा है। इन्हीं अमर क्रांतिकारियों में एक नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित है— रामप्रसाद ‘बिस्मिल’। आज, 11…
योग: प्रदर्शन नहीं, आत्म-संवाद का माध्यम हो
ऋषि प्रकाश कौशिक हर साल 21 जून को “अंतरराष्ट्रीय योग दिवस” बड़े उत्साह और जन भागीदारी के साथ मनाया जाता है। सरकारें योग शिविरों से लेकर भव्य आयोजनों तक इसकी…
विश्व बाल श्रम निषेध दिवस 12 जून 2025: आओ बच्चों को मजदूरी नहीं, शिक्षा दिलाएं
बच्चे हर देश के सुनहरे भविष्य की नींव है,आओ उन्हें मज़दूर नहीं शिक्षित बनाएं भारत में बाल श्रम रोकने में श्रम विभाग,बाल संरक्षण विभाग,पोलिस, मानव तस्करी विरोधी विभाग, बाल अधिकार…
अंतरराष्ट्रीय खेल दिवस 11 जून 2025 : बच्चों के समग्र विकास की आधारशिला: खेल चुनें – हर दिन
अंतरराष्ट्रीय खेल दिवस का उद्देश्य खेलों को संरक्षित रखना,बढ़ावा देनां व विशेष रूप से बच्चों को इसका लाभ उठाने के लिए प्रेरित करना है भारतीय खेलों गिल्ली-डंडा, ख़ो-ख़ो, लंगडी, कांचे…
रिश्तों के लाश पर खड़ा आधुनिक प्रेम
रिश्ते, भ्रम और हत्या इंदौर के राजा की मेघालय में हनीमून के दौरान हत्या, उसकी नवविवाहिता पत्नी द्वारा प्रेमी संग मिलकर की गई निर्मम साजिश, आधुनिक प्रेम की भयावह हकीकत…
स्त्री जब सांचों को तोड़ती है, समाज चीख पड़ता है — “क्या हो गया है इन औरतों को?”
“जब कोई महिला अपराध में शामिल होती है, तो समाज उसकी परवरिश, चरित्र और कोमलता पर सवाल उठाता है, जबकि पुरुष अपराधियों को अक्सर सहानुभूति या ‘दबंगई’ का जामा पहनाया…